7 हानिकारक केमीकल्स जिनका आप रोजना सेवन करते है

यह कुछ ऐसे उत्पादों में मिले हुए हानिकारक केमीकल्स है जिनका हम रोज़ाना सेवन करते है जाने या अनजाने में | हमारे रोज़ाना के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों में ये केमीकल्स मिले हुए होते है |

जानिए ऐसे कोनसे हानिकारक केमीकल्स है अथवा हम इनको उपयोग कैसे करते है ताकि हम इनका उपयोग में कमी ला सके या रोक लगा सके | कई प्रकार के केमीकल्स हवा, दैनिक आहार व दैनिक आधार पर इस्तेमाल होने वाले पदार्थो में है | इन सभी में से कुछ केमीकल्स ज़्यादा खतरनाक होते है व कुछ ऐसे होते है जिनका प्रभाव कुछ समय बाद जाकर होता है |

इन केमीकल्स में से ये पता लगाना मुश्किल है की कोनसा ज़्यादा खतरनाक है या किसका इस्तेमाल करने से हमें बचना है |

आइये कुछ ऐसे ही हानिकारक केमीकल्स को आज पढ़े अथवा उनसे निजाद पाए |

  1. बिस्फेनॉल ए (बीपीए)

बिस्फेनॉल ए (बीपीए) प्लास्टिक की बोतलों, बच्चो की बोतलों व प्लास्टिक के टिफ़िन बॉक्स में अक्सर पाया जाता है | शिकागो के इल्लिनोइस यूनिवर्सिटी में शरीर विज्ञान के प्रोफेसर गेल प्रिंस के मुताबिक BPA कहा जाने वाला ये केमिकल नर्म और मुलायम प्लास्टिक की चीज़े बनाने के उपयोग में लाया जाता है | इस केमिकल को पूर्ण रूप से निष्प्रभाव करना लगभग नामुमकिन है | सबसे बुरा प्रभाव इस पदार्थ का यह है के भ्रूण में पल रहे बच्चे को इस से सबसे ज़्यादा व हानिकारक नुकसान होता है | कनाडा के गुएल्फ विश्वविद्यालय के शोधकर्ता नील मैकलस्की के मुताबिल ये पदार्थ शरीस में धीरे धीरे मष्तिष्क में प्रभाव करता है |

  1. डाइअॉॉक्सिन

डाइअॉॉक्सिन एक पर्यावरण रसायन है | डाइअॉॉक्सिन का उत्पाद घरेलु या औद्योगिक अपशिष्ट के जलने पर होता है | डीओजीन मिटटी में, सतह पानी में, पोधो मे व पशु ऊतकों में पाया जाता है | मानव शरीर में डाइअॉॉक्सिन ज़्यादातर दूषित भोजन ग्रहण करने के कारण पाया जाता है जिसका एक कारण यह भी है की डाइअॉॉक्सिन पशु उत्पादों में शामिल होता है जिसके खाने से ये मानव शरीर में आ जाता है |डाइअॉॉक्सिन के कारण हमारे शरीर में एस्ट्रोजेन अवं प्रोजेस्ट्रोन का प्रभाव बदल जाता है और ये कैंसर जैसे बड़ी बीमारियों को बुलावा देता है |

  1. पारा

मासाहारी भोजन में मछली एक स्वस्थ आहार है | मछली में ओमेगा-3 पाया जाता है जोकि फैट एसिड का अच्छा स्रोत है | मछली में काफी मात्रा में पारे का होना एक समस्या है जोकि बड़ी बीमारियों को निमंत्रण देती है | पारा के उच्च मात्रा कुछ मछलियों में ज़्यादा मात्रा में होती है जैसे की ट्यूना, शार्क, टाइलफिश, स्वोर्डफ़िश अवं मक्रील में पायी जाती है | पारा ज़हरीला पदार्थ हो सकता है | पोषण और डायटेटिक्स प्रवक्ता के अमेरिकन अकादमी और पंजीकृत आहार विशेषज्ञ हीथ मांगिएरी की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती महिलायो को मछली का सेवन रोक देना चाहिए ताकि किसी प्रकार की भ्रूण समस्या न हो |

  1. परफ्लूओरिनेटेड यौगिक (पीएफसीएस)

यह रसायन नॉन-स्टिक फ्राई पैन में पाया जाता है | अगर आपका नॉन-स्टिक पैन अब पुराण हो गया है तो इसका इस्तेमाल बंद करना लाभदायक रहेगा | परफ्लूओरिनेटेड यौगिक नॉन-स्टिक फ्राई पैन बनाने में इस्तेमाल किआ जाता है जो की आपकी सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है | इसका भरी प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है जिसके कारण बच्चे में थाइरोइड का खतरा बढ़ जाता है अवं उसके विकास में अवरोध आने लगता है |

  1. एट्राजिन

एट्राजिन का मुख्या स्रोत है पीने का पानी | एट्राजिन सबसे आम कीटनाशको में से एक है जो की मक्का, ज्‍वार और शुगरकेन की खेती में वीड्स को रोकने के उपयोग में लाया जाता है | एट्राजिन दूषित पानी के पीने से होता है जिससे की स्तन टूमओर व प्रोजेक्ट कैंसर की आसार बन जाते है |

  1. ओर्गनोफॉस्फेट्स

ओर्गनोफॉस्फेट्स कृषि में इस्तेमाल होने वाले सबसे खतरनाक कीटनाशको में से एक है | ओर्गनोफॉस्फेट्स के संभावित खतरे अधिकतर युवाओ में देखने को मिलते है | ये कीटनाशक बच्चो के मनपसंद भोजन को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कृषि वस्तुओ पे होता है | पर्यावरण समझ के एक शोध के मुताबिक 6 साल की उम्र तक के अधिकतर बच्चे ओर्गनोफॉस्फेट्स का एक अच्छा खास भाग खा लेते है | ओर्गनोफॉस्फेट्स का ज़्यादा उपयोग के कारन बच्चो में मानसिक बीमारियों का उत्तेजन होता है व प्रजनन प्रणाली पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है |

  1. ग्लाइकोल एथेर्स

पर्यावरण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ग्लाइकोल एथेर्स मुख्या रूप से सफाई उत्पादों में होता है जैसे साबुन, ब्यूटी प्रसाधन, पेंट, हैंडवाश, इत्र आदि | इस रसायन के ज़्यादा उपयोग से या इसके ज़्यादा संपर्क में आने से अस्थि क्षय अथवा किडनी व लिवर भी गंभीर सूप से प्रभावित हो सकते है | ग्लाइकोल एथेर्स के ज़्यादा उपयोग से थकान, उलटी,रक्ताल्पता, झटके और एनोरेक्सिया हो सकता है |

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